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Rinku Shah
Rinku Shah

दिल से एक माँ और अल्हड़ लड़की का संयोजन हैं डॉ. रिंकू शाह। तितलियों की तरह चंचल रिंकू, अपनी ज़िंदगी में रिश्तों और उनके एहसासों को ख़ास महत्व देती हैं। वो गुजरात के एक छोटे से शहर मोड़ासा में जन्मी पर जिंदगी के सफ़र में मुंबई और अहमदाबाद से होते हुए, एक शांत शहर, बड़ौदा में बस गईं।

पढ़ाई तो विज्ञान संकाय से की रिंकू ने, परंतु भाषा के प्रति उनकी रुचि और प्रेम, पहले उँगली पकड़कर उन्हें गुजराती की ओर ले गया, फ़िर हिन्दी/हिंदुस्तानी तक ले आया। बारह साल की उम्र से उनका भाषा की तरफ़ झुकाव शुरू हुआ जो आजतक कायम है। 

प्रेम और उससे जुड़ी भावनाएँ जैसे खुशी, दुःख, परेशानी, झुँझलाहट, और तृप्ति, उनके पसंदीदा विषय हैं। व्यवसायिक रूप से चर्म रोग विशेषज्ञा, डॉ रिंकू, 'त्वरा' के नाम से अपने विचारों को पन्नों पर आकार देती हैं। उनकी कविताएँ और ख़्याल इस काव्य संग्रह के अलावा आप योरक्वॉट पर और इंस्टाग्राम हैंडल  tvara_writings पर भी पढ़ सकते हैं।

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Twara ek Ehsas

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त्वरा - एक एहसास, ये किताब एक सफ़र है डॉ. रिंकू का, एक उछलते-कूदते झरने से नदी बनने तक का। उनकी कलम की धार, धीरे-धीरे ज़िन्दगी के अनुभव के साथ पैनी होती हुई इस किताब में सिमटी और कलम का प्रवाह तीव्र से मद्धम हो आया। डॉ. रिंकू अपनी ज़िंदगी में रिश्तों और उनके एहसासों को ख़ास महत्व देती हैं। वो गुजरात के एक छोटे से शहर मोड़ासा में जन्मीं पर जिंदगी के सफ़र में मुंबई और अहमदाबाद से होते हुए, एक शांत शहर, बड़ौदा में बस गईं। उनकी पढ़ाई विज्ञान और चिकित्सा की हुई, परंतु भाषा के प्रति उनका प्रेम, पहले उँगली पकड़कर उन्हें गुजराती की ओर ले गया, फ़िर हिन्दी से हिंदुस्तानी तक ले आया। डॉ. रिंकू की कविताओं में आपको भावनाओं के साथ-साथ जीवन का अवलोकन भी पढ़ने को मिलेगा। इस काव्य संग्रह से पहले डॉ. रिंकू की दो कॉफ़ी टेबल किताबें आ चुकी हैं और कुछ उनका काम ५-६ कविता/कहानी संग्रहों में भी पढ़ा जा सकता है। इसके अलावा आप योरक्वॉट पर और इंस्टाग्राम हैंडल tvara_writings पर भी पढ़ सकते हैं।
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त्वरा - एक एहसास, ये किताब एक सफ़र है डॉ. रिंकू का, एक उछलते-कूदते झरने से नदी बनने तक का। उनकी कलम की धार, धीरे-धीरे ज़िन्दगी के अनुभव के साथ पैनी होती हुई इस किताब में सिमटी और कलम का प्रवाह तीव्र से मद्धम हो आया। डॉ. रिंकू अपनी ज़िंदगी में रिश्तों और उनके एहसासों को ख़ास महत्व देती हैं। वो गुजरात के एक छोटे से शहर मोड़ासा में जन्मीं पर जिंदगी के सफ़र में मुंबई और अहमदाबाद से होते हुए, एक शांत शहर, बड़ौदा में बस गईं। उनकी पढ़ाई विज्ञान और चिकित्सा की हुई, परंतु भाषा के प्रति उनका प्रेम, पहले उँगली पकड़कर उन्हें गुजराती की ओर ले गया, फ़िर हिन्दी से हिंदुस्तानी तक ले आया। डॉ. रिंकू की कविताओं में आपको भावनाओं के साथ-साथ जीवन का अवलोकन भी पढ़ने को मिलेगा। इस काव्य संग्रह से पहले डॉ. रिंकू की दो कॉफ़ी टेबल किताबें आ चुकी हैं और कुछ उनका काम ५-६ कविता/कहानी संग्रहों में भी पढ़ा जा सकता है। इसके अलावा आप योरक्वॉट पर और इंस्टाग्राम हैंडल tvara_writings पर भी पढ़ सकते हैं।
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