नीलम कुलश्रेष्ठ का जन्म आगरा में हुआ था। शिक्षा ---एम .एस सी. [रसायन विज्ञान ],एक्सपोर्ट मार्केटिंग डिप्लोमा. विवाह के बाद आप सन 1976 से लेकर सन जुलाई 2009 तक वडोदरा में रहीं हैं। वहां के अंतर्राष्ट्रीय अन ख्याति प्राप्त लोगों व एन जी ओज़ के विषय में `धर्मयुग `व `साप्ताहिक हिन्दुस्तान ` `सरिता `ग्रहशोभा जैसी पत्रिकाओं से सारे देश को परिचित करवाया। फ़ेमिनिस्ट जर्नलिस्ट एन्ड राइटर की तरह जाने वाली नीलम जी ने वृन्दाबन की बंगाली विधवाओं की दुर्दशा पर देश में सबसे पहले सर्वे सं 1980 में किया , विशेष -देश के छब्बीस विश्विद्द्यालयों के नारी शोध केंद्र पर , गुजरात के हरिवल्ल्भ पारिख के आनंद निकेतन आश्रम की लोकअदालत को देश में लोकप्रिय बनाने में योगदान है,इन्होने प्रमाणित किया संसाधन मंत्रालय की योजना महिला सामाख्या गुजरात में सर्वश्रेष्ठ ढंग से कार्य कर रही है. 30 पुस्तकों व 14 ई -बुक्स की लेखिका गुजरात की किसी भी भाषा की प्रथम राष्ट्रीय स्तर की पत्रकार हैं। ये गुजरात की प्रथम व एकमात्र हिंदी लेखिका हैं जिन्हें पांचों हिंदी साहित्य अकादमी पुरस्कार मिल चुके हैं। भूतपूर्व मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल का प्रशंसा पत्र प्राप्त। सन १९९० में इन्होंने अस्मिता ,महिला बहुभाषी साहित्यिक मंच की वड़ोदरा में ,सन २००९ में अहमदाबाद में स्थापना की थी। अस्मिता,अहमदाबाद से इन्होंने सन 2019 में अपनी कथा रुपरेखा व संयोजन में अन्य 5 अस्मिताज़ के साथ अहमदाबाद की मातृभारती के लिए देश का दूसरा डिजिटल साझा उपन्यास ,गुजरात का प्रथम लिखा था। जिसकी लोकप्रियता के कारण वनिका पब्लिकेशंस ,देल्ही से 2021 में प्रकाशित किया गया। इन्हें आई सी आई का जर्नलिज़्म फ़ॉर सोशल वैलफ़ेयर अवार्ड मिल चुका है जिसके एक निर्णायक बाबा आमटे भी थे। देहरादून से स्वयंसिद्धा अवॉर्ड पाने वाली नीलम कुलश्रेष्ठ का दो जयपुर की व एक पटना व देल्ही की संयुक्त देश के सौ सर्वश्रेष्ठ लेखकों की तीन सूची में इनका नाम शामिल है .