"निशा अधिकारी" पूरा नाम, आधिकारिक तौर पर, लेकिन कभी उपनाम में विश्वाश नहीं रखतीं , कहती हैं - ना पिता का, न पति का, नाम हो तो सिर्फ अपना इसलिए चाहती हैं और प्रयासरत हैं " The Nisha " बनने को I लिखने का शौख बचपन से रहा लेकिन कभी इस दिशा में निरंतर बढ़ने का सोचा नहीं , सच कहा है किसी ने, "लेखक हो या कवि जब तक दर्द से न गुजरे अहसासों को रंग नहीं दे पाते" I आप लिखती तो पहले भी थीं लेकिन सामाजिक मुद्दों पर I कभी अपनी भावनाओं को शब्द देना इन्होंने जरुरी नहीं समझा परन्तु जब अहसास हुआ कि अपना खालीपन किसी ओर की मौजूदगी से नहीं बल्कि खुद से ही भरा जा सकता है तो अपने लिए लिखना शुरू किया, अपनी भावनाओं को शब्दों का आकर देना प्रारम्भ किया I अपने साथ साथ, अपनों की ख्वाहिशों को भी पूरा तवज्जो देती हैं , किसी को किसी भी काम के लिए 'ना' नहीं करना इनकी सबसे बड़ी तारीफ भी है लेकिन साथ ही साथ कमजोरी भी I लेकिन खुद से बेहद खुश और दूसरों को देती हैं मुस्कान सदा I हर कोई समस्या लेकर ही आता है इनके पास और ये इनको सबसे ज्यादा ख़ुशी देता है कि ये उनकी मदद कर पाती हैं I